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निकाह को आम किया जाए शादी विवाह में फिजूलखर्ची और दिखावे से बचा जाए,, मौलाना चाहत मोहम्मद कुरैशी कासमी

मीडिया से बात करते हैं उलेमा ए कुरैश सदस्य

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{एम जलीस गाज़ी} Now Prime News. [गंगोह सहारनपुर]

मदरसा फैज उलूम यासीनिया के संस्थापक वह मोहतमिम मौलाना चाहत मोहम्मद कुरैशी कासमी के गंगोह स्थित आवास पर.उलेमा ए कुरैश की तरफ से एक मीटिंग का आयोजन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य निकाह शादी विवाह को आम करना और उसमें होने वाली फिजूल खर्ची से बचना है उलेमा ए कुरैश की तरफ से चलाई जा रही इस मुहिम को लोगों ने काफी सराहा है और सैकड़ो शादी विवाह निकाह ऐसे हुए हैं जिसमें लोगों ने शादी में फिजूलखर्ची और दहेज के लेन-देन को खत्म कर दिया है۔ मुफ्ती मोहम्मद अब्बास ने कहा है निकाह इस्लाम की सबसे बड़ी सुन्नत मानी गई है। यह जितनी सादगी से हो उतनी ही अफजल (श्रेष्ठ) है। लेकिन अफसोस अब मुसलमान दिखावा कर रहा है। शादी में दहेज के नाम पर फिजूलखर्ची हो रही है। दहेज और खाने का खर्च इतना बढ़ गया है कि बेटियां बोझ बनने लगी हैं। मौलाना चाहत मोहम्मद कुरैशी कासमी ने कहा है क्या हमारी इस कोशिश से सैकड़ो निकाह ऐसे संपन्न हुए हैं जिसमें ना ही कोई फिजूल खर्ची की गई और ना ही कुछ दहेज का लेन देन हुआ और हमारी यह भी पहल रहती है कि जिस जगह पर यह जिस गांव में हम इस मुहिम को लेकर चलते हैं हमारा किसी भी व्यक्तिगत व्यक्ति के यहां ठहरना नहीं होता यह इसलिए किया जाता है कि उसके यहां ठहरने से टाइम और खर्चे से बचा जा सके इसलिए है हमारी टीम मस्जिद में ठहरना यानी कायाम करना पसंद करती है।
उलेमा ए कुरैश की तरफ से अब तक. गंगोह और उसके आसपास के गाँव रामपुर! इस्लामनगर ननौता अम्बेहटा कैराना शेखपुरा कैलाशपुर आदि में आयोजन कर लोगों को जागरूक किया गया, इस जागरूकता का असर लोगों पर इस कदर दिखा के जहां शादी विवाह में 20-30 खाने की देगो में काम हुआ करता था अब वही 2-3 देग मे काम पूरा हो जाता है,।। उलेमा ए कुरैश के कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्यों विषय मैं से 23 बिंदुओं पर जोर दिया गया है आप देख सकते हैं कि दूल्हा और दुल्हन चुनने के सरल मापदंड हमें कुरान में पहले ही बता दिए गए हैं। फिर भी, हम अपने सांसारिक सुखों को पूरा करने के लिए जीवनसाथी की तलाश करते हैं। हमारी पहली प्राथमिकता धन और सुंदरता है क्योंकि ये चीजें हमारी सामाजिक स्थिति के लिए महत्वपूर्ण हैं। हम निकाह को एक व्यापारिक सौदे के रूप में देखते हैं जहाँ असली सुन्नत हमारे लालच से ढक जाती है।

जैसे-जैसे हम सुन्नत के मार्ग से भटकते हैं, हम आँख मूंदकर काम करते रहते हैं। हम सभी ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा घातक विवाह अनुष्ठानों और परंपराओं पर खर्च किया है जो मानव निर्मित हैं। इस्लाम ने विवाह को इतना आसान बना दिया है, लेकिन हम इंसानों को गलती करने की आदत है।

कुरान में सूरह इसरा में अल्लाह स्पष्ट रूप से कहता है; आयत: 26-27

“ और रिश्तेदारों को उनका हक़ दो, और ग़रीबों और मुसाफ़िरों को भी, और फ़िज़ूलखर्ची न करो। ”

इस्लामी विवाह का सुन्नत तरीका यह है कि निकाह मस्जिद में सादगी से और बहुत करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में किया जाए। दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवार गरीबों और किसी भी यात्री को खाना खिला सकते हैं जो उनके रास्ते से गुज़रता है। कार्ड छपवाने, दहेज इकट्ठा करने, दर्जनों उपहार तैयार करने और भव्य वलीमा पार्टी आयोजित करने के लिए महीनों की तैयारी की ज़रूरत नहीं है।

हम सभी को यह समझना चाहिए कि अल्लाह ने जो सुन्नत बनाई है, उसे उसी तरीके से पूरा करना चाहिए, जैसा उसने बताया है। हमें इस संदेश को पूरी उम्मत तक पहुँचाना चाहिए। आइए हम सादगी से निकाह की खूबसूरती को बनाए रखें और सबके लिए एक मिसाल कायम करें। आइए हम अपने बच्चों की शादी उतनी ही विनम्रता से करें, जितनी हमारे नबी (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) ने की थी। अगर किसी को पहल करनी है, तो आप क्यों नहीं?
इस अवसर पर मीटिंग का संचालन कर रहे उलेमा ए कुरैश के सरपरस्त मौलाना मोहम्मद इकराम साहब मुफ्ती मोहम्मद अब्बास हाजी मोहम्मद शाहिद कारी शौकीन कारी अजंहर कारी अनस कारी अब्दुल्लाह मौलाना जेद साहब मौलाना शहव़ेज मौलाना मोहम्मद कैफ भाई मोहम्मद साजिद उस्मानी आदि मौजूद

रहे।

 

 

 

Now Prime News
Author: Now Prime News

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